( the mouse and the monk )
story
एक बार एक साधु जंगल में रहता था। वह बहुत ही ध्यानी था और अपने आपको भगवान की सेवा में लगाया हुआ था। एक दिन उसने अपनी चप्पल छोड़ दी और जंगल में चला गया।
चप्पल को देखकर एक चूहा खुश हो गया और उसे अपने गोद में उठा लिया। चूहा बहुत खुश था कि उसे एक अच्छी चीज मिल गई है जो उसे अपने घर ले जाने के लिए मदद करेगी।
चूहा चलते चलते आगे बढ़ता गया। जब वह अपने घर के पास पहुंचा तो उसने अपने दोस्तों को बताया कि उसने एक चप्पल पाया है और उसे घर ले जाने के लिए यहां आया है। उन्होंने सोचा कि वे चप्पल को चुरा लेंगे और इसलिए वे चूहे ने एक चोर को बुलाया जो उसे चप्पल लेने में मदद कर सकता था।
चोर आया और चप्पल को उठाकर चला गया। चूहा खुश था कि उसे एक दोस्त मिल गया जो उसे मदद करने के लिए आया था।
बाद में साधु ने अपनी चप्पल को ढूंढा और चूहों की सारी योजना का पता चला। उसने सो
साधु ने अपनी चप्पल ढूंढते हुए चूहों के घर पहुंचा। वह देखा कि उनके घर में बहुत सारे चूहे हैं और सभी उसे नाचते हुए देख रहे हैं। साधु ने समझा कि यह उसके चप्पल को चुरा लेने आए हैं। उसने अपनी चप्पल लौटाने के लिए एक प्लान बनाया। साधु ने चूहों को एक उपवन के बारे में बताया जो उनके घर के नजदीक है। उसने कहा कि यहां सभी चूहे जा सकते हैं और बहुत सारा खाने का सामान है। चूहों ने साधु की बात सुनकर उसके साथ उपवन जाने के लिए सहमति दी। जब वे उपवन पहुंचे तो साधु ने उन्हें अपनी चप्पल के बारे में बताया। चूहों ने समझा कि वे उसको चुरा लेने के लिए आए हैं और अब उन्हें फिर से साधु के पास जाना होगा। उन्होंने समझा कि यह अच्छा नहीं होगा और उन्होंने साधु से माफी मांगी। साधु ने उन्हें माफ कर दिया